एक बिहारी भैया ब्लॉगजगत में आये और चोरों की तरह लोगों के दिलों में सेंध लगाने लगे, पता ही नहीं चला कि कब हमारे भी दिल में समा गए, जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ सलिल वर्मा (चला बिहारी ब्लॉगर बनने) की, पूरे ब्लॉगजगत में उन्होंने एक बहुत ही सुखद पारिवारिक माहौल बना दिया है, मैं भी उनसे मिला नहीं हूँ ना ही कभी बात हुई है लेकिन फिर भी लगता है जैसे हम एक ही परिवार के हैं, कुछ पंक्तियाँ उनके लिए.......
बहुत शातिर हैं वो
चुपके से
दिलों में सेंध लगाते हैं
बिन आहट के,
आप उन्हें
डकैत भी कह सकते हैं
वो दिलों पे
डाका डालते हैं अक्सर,
या शब्दों का जादूगर
कह लो उन्हें
उनके शब्द
तीर की तरह उतर जाते हैं
दिलों में,
वो फैला रहे हैं
परिवारवाद यहाँ,
मगर हाँ
उनके परिवार में हैं
आप, मैं और पूरा ब्लॉगजगत,
वैसे सलिल कहते हैं उन्हें
वो सिखा रहे हैं हमें
अपनत्व क्या है
और दिल जीतने का हुनर
किसे कहते हैं!
http://chalaabihari.blogspot.com/
Friday, August 20, 2010
Saturday, August 14, 2010
जिन्ना को उनका पाकिस्तान मिला नेहरु को हिन्दुस्तान
क्या नहीं सोचा था
कि ये कीमत चुकानी होगी
आज़ादी और विभाजन की,
नालियों में बह रहा
बेकसूरों का रक्त था
और वो बेकसूर नहीं जानते थे
कि सरहद किसे कहते हैं
और आज़ादी क्या है,
वो नहीं जानते थे
नेहरु और जिन्ना को,
वो तो मार दिए गए
हिन्दू और मुसलमान होने के
अपराध में,
मरने से पहले देखे थे उन्होंने
अपनी औरतों के स्तन कटते हुए
अपने जिंदा बच्चों को
गोस्त कि तरह आग में पकते हुए,
अपनी मरी हुई माँ की
कटी हुई छातियों से बहते रक्त को
सहमे हुए देख रहे थे
और उसकी बाहों को
इस उम्मीद में खींच रहे थे
कि बस अब वो उसे गोद में उठा लेगी,
माएँ अपनी जवान बेटियों के
उन्हें बलात्कार से बचाने के लिए,
बेरहमी कि हदों को तोड़कर
इंसानियत को रौंदा गया,
पर एक सवाल आज भी
अपनी जगह कायम है
कि इस भीषण त्रासदी का
ज़िम्मेदार कौन???
जिन्ना को
उनका पाकिस्तान मिला
नेहरु को
हिन्दुस्तान,
परन्तु बाकी बचे
चालीस करोड़ लोगों को
क्या मिला???
टुकड़ों में बंटा
लहुलुहान हिन्दुस्तान!!!
Wednesday, August 11, 2010
होगा एक नए भारत का निर्माण!
ये है आज का भारत
नरभक्षी बन चुकी है व्यवस्था यहाँ
भेड़ की खाल पहने
घूम रहे हैं
भेडियों के समूह,
मेमनों को
अपने नुकीले
दांतों में दबोच
रक्त चूस रहे हैं बेखौफ,
लेकिन हम तो शायद
चुप ही रहेंगे
सहने का सामर्थ्य है
सहेंगे,
मगर मित्र
एक दिन अवश्य
ज्वालामुखी फटेगा
और गर्म लावा बहेगा,
या फिर
धरती कांपेगी
और वो दीवारें
जिनकी नीव कमजोर है
ढह जाएंगी,
और ये
नुकीले दांत वाले भेडिये
दम तोड़ रहे होंगे
दीवारों के मलबे तले,
एक दिन हमारी निद्रा
अवश्य टूटेगी
और हमारी आँखे
अंगार उगलेंगी,
और तब हम
प्रगति के पथ पर उगे
काँटों को
कुचलेंगे,
फिर लम्बी रात के बाद
एक नयी सुबह होगी
और हम
खुली हवा में
ताजगी भरी सांस लेंगे,
और होगा एक नए भारत का निर्माण!
Tuesday, August 10, 2010
वो कहते हैं कश्मीर दे दो
वो कहते हैं
कश्मीर दे दो
बड़े नादान हैं
नहीं जानते
कि जिस्म से रूह
नहीं मांगते,
हमारी धडकनों में
बसता है कश्मीर
हमारी रगों में
बहता है कश्मीर
हमारी साँसों में
बसा है कश्मीर,
हिंद की
जागीर है कश्मीर!
कश्मीर दे दो
बड़े नादान हैं
नहीं जानते
कि जिस्म से रूह
नहीं मांगते,
हमारी धडकनों में
बसता है कश्मीर
हमारी रगों में
बहता है कश्मीर
हमारी साँसों में
बसा है कश्मीर,
हिंद की
जागीर है कश्मीर!
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