Thursday, October 14, 2010

हे ईश, भारत वर्ष में शत बार मेरा जन्म हो

अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की कलम से...........
यदि देश हित मरना पड़े मुझको सहस्रों बार भी,
तो भी न मैं इस कष्ट को निज ध्यान में लाऊं कभी !
हे ईश, भारत वर्ष में शत बार मेरा जन्म हो,
कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो !
मरते 'बिस्मिल' रोशन लहरी अशफाक अत्याचार से,
होंगे पैदा सैकड़ों उनके रुधिर की धार से-
उनके प्रबल उद्योग से उद्धार होगा देश का,
तब नाश होगा सर्वदा दुःख शोक के लवलेश का! 
 
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