फाँसी के लिए जाते समय बहुत जोर से 'वन्दे मातरम' और 'भारत माता कि जय' का नारा लगाते हुए अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल कि कही कुछ पंक्तियाँ.......
मालिक तेरी रज़ा रहे और तू ही तू रहे
बाकी न मैं रहूँ, न मेरी आरजू रहे!
जब तक कि तन में जान रगों में लहू रहे,
तेरा ही जिक्रेयार, तेरी जुस्तजू रहे!
फंसी के तख्ते पर खड़े होकर उन्होंने ये शेर पढ़ा......
अब न अहले वलवले हैं
और न अरमानों कि भीड़!
एक मिट जाने कि हसरत,
अब दिले-बिस्मिल में है!
Friday, July 23, 2010
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