वो कहते हैं
कश्मीर दे दो
बड़े नादान हैं
नहीं जानते
कि जिस्म से रूह
नहीं मांगते,
हमारी धडकनों में
बसता है कश्मीर
हमारी रगों में
बहता है कश्मीर
हमारी साँसों में
बसा है कश्मीर,
हिंद की
जागीर है कश्मीर!
Tuesday, August 10, 2010
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4 comments:
jai Hind, bahut khoob likha
पानुन कश्मीर.... पानुन कश्मीर.....
जय हिंद.........
आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .
Kya baat hai....sir ji bahut khoob.
bahut hi umda aur Saamyik rachna
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