अमर शहीद भगत सिंह कि कुछ पंक्तियाँ, ३ मार्च १९३१ को अपने भाई को लिखे पत्र में ये पंक्तियाँ लिखी थी......
उसे ये फिक्र है हरदम नया तर्जे-ज़फ़ा क्या है,
हमें यह शौक है देखें सितम कि इन्तहा क्या है!
दहर से क्यों खफा रहें, चर्ख का क्यों गिला करें,
सारा ज़हां अदू सही, आओ मुकाबला करें!
कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहले-महफ़िल,
चरागे - सहर हूँ बुझा चाहता हूँ!
हवा में रहेगी मेरे ख्याल कि बिजली,
ये मुस्ते - खाक है फ़ानी, रहे रहे न रहे!
Thursday, June 10, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
9 comments:
भगत जी के बारे में क्या कहा जाये... महान शहीद...
कवि ह्रदय भी था इस देश भक्त के पास !
बस!! उनके देशप्रेम को देख कर श्रदा से सिर ही झुका सकते हैं....
shaheed bahagat singh tumhe salaam janta hutum jahan bhi hoge rote hi hoge kahan ke liye jaan di...par ham zarur koshish karenge ki tumhare sapne ko poora kar sake...
bahut sunder panktiya. abhaar inhe yaha padhane k liye.
apki post kal 11/6/10 ke charcha munch k liye chun li gayi he.
http://charchamanch.blogspot.com
abhar.
उनके देशप्रेम को देख कर श्रदा से सिर ही झुका सकते हैं...
bahut sunder panktiya.
अति प्रशंसनीय ।
बहुत शानदार!
Post a Comment